Kavi Bhagwatidas
कवि भगवती दास
कवि भगवती दास गुणचंद्र भट्टारक की परम्परा में महीन्द्र सेन के शिष्य थे। कवि भगवती दास अंबाला के बूढ़िया नगर के निवासी थे। बाद में वे दिल्ली आ गए थे। कवि का संस्कृत अपभ्रंश और हिंदी भाषा पर अच्छा अधिकार था। कवि बादशाह जहांगीर के समय में हुए थे और दिल्ली के मोती बाजार में स्थित भगवान पार्श्वनाथ के मंदिर में प्रतिदिन आया करते थे। कवि का समय 17वीं शताब्दी सुनिश्चित है। कवि की हिंदी और अपभ्रंश भाषा में पर्याप्त रचनाएं प्राप्त होती हैं।
1. ढंढ़ाणा रास
2. आदित्य रास
3 पखवाड़ा रास
4. दशलक्षण रास
5. खिण्डी रास
6. समाधि रास
7. जोगी रास
8. मनकरहा रास
9. रोहिणीव्रत रास
10. चतुर बंजारा
11. द्वादश अनुप्रेक्षा
12. सुगंध दशमी कथा
13. आदित्य वार कथा
14. अनथमी कथा
15. वीरजिनिन्द गीत
16. विनय गीत
17 राजमती नेमिसूर धमाल
18. लघु सीता सतू
19. अनेकार्थ नाम माला
20. मृगांक लेखा चरित
इसके अतिरिक्त कई ऐसे कवि और लेखक हैं जिनका योगदान अपभ्रंश साहित्य के समृद्धि में भरपूर रहा है। परंतु न तो उनका विशेष परिचय प्राप्त होता है न ही उनकी रचनाओं के संदर्भ में विशेष जानकारी प्राप्त है। फिर भी कुछ नाम प्राप्त होते हैं। आचार्य कुंदकुंद की आम्नाय में रत्नकीर्ति, प्रभाचंद्र, पदमनंदी, हरीभूषण, नरेंद्रकीर्ति, विद्यानंदी और ब्रह्म साधारण के नाम भी प्राप्त होते हैं।
Shastra by Kavi Bhagwatidas
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